आज़ादी के बाद भारत का इतिहास (1947-2023)

स्वतंत्रता के बाद भारत में हुई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ एवं प्रगति

  • 1947

  • 1948

  • 1950

  • 1952

  • 1954

  • 1961

  • 1965

  • 1971

  • 1974

  • 1975

  • 1991

  • 1999

  • 2006

  • 2007

  • 2008

  • 2013

  • 2017

  • 2019

  • सदियों की गुलामी से आजाद हुआ भारत

    भारत के इतिहास में 1947 का बड़ा महत्व है. 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी. अंग्रेजों ने भारत पर लंबे समय तक शासन किया था. इस दौरान 1857 में आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई और देशवासियों ने बड़े जतन से आजादी हासिल की. इस आजादी को पाने के लिए सैकड़ों-हजारों लोगों ने अपनी जान की बाजी लगा दी. आजादी की इसी लड़ाई ने भारत को कई बड़े-बड़े नेता दिए. लेकिन 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उसका एक हिस्सा पाकिस्तान के रूप में अलग भी हो गया और इस दौरान खूब रक्तपात भी हुआ, लेकिन देश ने 1947 में एक नए युग में कदम रखा.

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  • पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाया

    साल 1947 में भारत और पाकिस्तान के रूप में दो देश अलग हुए. धर्म के नाम पर पाकिस्तान बना, लेकिन आजाद होते ही पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतें शुरू कर दीं. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने के इरादे से यह युद्ध शुरू किया. महाराजा हरि सिंह के भारत में विलय के लिए राजी होने के बाद भारत ने अपनी सेनाएं वहां उतारीं और पाकिस्तानियों को आगे बढ़ने से रोक दिया. पाकिस्तान पूरे जम्मू-कश्मीर पर कब्जा नहीं कर पाया, लेकिन कुछ हिस्सा आज भी उसके कब्जे में है.

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  • देश में अपना संविधान लागू हुआ

    आजादी के बाद भारत के सामने एक बड़ी चुनौती गणतंत्र के रूप में खड़े होने की थी. इसके लिए एक ड्राफ्ट कमेटी बनाई गई, जिसने देश के संविधान की पूरी रूप रेखा तय की. कॉन्स्टिट्वेंट असेंबली द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया. इसके बाद 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र बन गया. संविधान की प्रस्तावना में भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य बताया गया है.

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  • आजाद भारत में पहली बार आम चुनाव हुए

    आजादी के बाद साल 1951-52 में पहली बार देश में आम चुनाव हुए. 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक चले पहले लोकसभा चुनाव कराए गए. ज्यादातर राज्यों की विधानसभाओं के लिए भी एक साथ चुनाव हुए. देश के इस पहले चुनाव में लोकसभा की 489 सीटों के लिए 1949 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे. देश में उस समय देश में कुल 35 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 17 करोड़ से अधिक ने मतदान में भाग लिया. कुल 45.7 फीसद लोगों ने मतदान किया और यह उस समय तक का सबसे बड़ा चुनाव था.

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  • भारत और चीन के बीच पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर हुए

    भारत और चीन के बीच एक अघोषित जंग दोनों देशों की आजादी के बाद से ही लगातार चली आ रही है. लेकिन पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों को यह भी पता है कि उनका भूत ही नहीं वर्तमान और भविष्य भी एक साथ जुड़ा हुआ है. दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर भी विवाद है. इसके बावजूद दोनों देश जानते हैं कि शांति के साथ ही भविष्य की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों ने 1954 में पंचशील समझौता किया. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को भी कुछ हद तक हल किया. पंचशील समझौते के अंतर्गत एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करना, दूसरे के क्षेत्र और अंदरूनी मामलों में दखन न देने के साथ ही आपसी सहयोग, एकता और सम्मान भी शामिल हैं.

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  • गोवा, दमन एवं दीव को पुर्तगाल की गुलामी से आजादी मिली

    भारत को अंग्रेजों से 1947 में आजादी मिल गई थी, लेकिन गोवा, दमन एवं दीव अब भी पुर्तगाल के कब्जे में थे. गोवा की आजादी की मांग लगातार उठ रही थी. दुनियाभर में उपनिवेश खत्म हो रहे थे, लेकिन पुर्तगाल अपने इन उपनिवेशों को छोड़ने को तैयार नहीं था. आखिरकार 1961 में भारतीय सेना ने यहां ऑपरेशन विजय चलाया, जो एक-डेढ़ दिन ही चला और गोवा, दमन एवं दीव को करीब साढ़े चार सौ साल की गुलामी से आजादी मिल गई.

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  • युद्ध के मैदान में पाकिस्तान को धूल चटाई

    भारत-पाकिस्तान 1965 में जंग के मैदान में आमने-सामने थे. दोनों देशों के बीच ये युद्ध अगस्त में शुरु हुआ और सितंबर तक चला. युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान ने भारत के कश्मीर में हमला करके की थी. मगर भारतीय सेना ने इसका ऐसा मुहतोड़ जवाब दिया कि बिगड़ैल पड़ोसी को मुंह की खानी पड़ी. भारत की जांबाज सेना ने लाहौर से सियालकोट तक पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया. हालांकि, इससे पहले युद्ध के मैदान में दोनों देशों की सैन्य ताकतों के बीच भयानक लड़ाई लड़ी गई. ये पहला मौका था जब दोनों देशों की वायु सेना जंग के मैदान में उतरी थीं. युद्ध का तब कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकला और 23 सितंबर, 1965 को संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद युद्ध विराम हुआ.

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  • घुटनों पर आया पाकिस्तान, 93 हजार सैनिकों ने किया सरेंडर

    साल 1965 की जंग के बाद 1971 में भारत और पाकिस्तान की सेना एक बार फिर युद्ध के मैदान में आमने-सामने थी. इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार से ज्यादा सैनिकों को भारत के सामने घुटने टेकने पड़े. दरअसल साल 1971 में बांग्लादेश (जिसे तब पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था) पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) से अपनी आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहा था. यह संघर्ष दोनों क्षेत्रों के राजनीतिक और आर्थिक असमानता की वजह से हुआ था. पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी संकट बढ़ने की वजह से भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया. लेकिन पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा पर भी युद्ध की घोषणा कर दी. पाकिस्तान को पूर्वी और पश्चिमी दोनों बॉर्डर पर हार का सामना करना पड़ा. पाकिस्तानी सेना को ढाका में भारतीय सेना के आगे आत्मसमर्पण करना पड़ा. इसी के सात 16 दिसंबर, 1971 को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का जन्म हुआ.

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  • परमाणु समपन्न देश बनने की ओर पहला कदम

    भारत ने 18 मई 1974 को पहला सफल परमाणु परीक्षण किया था. यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण क्षेत्र में किया गया था. इसका कोड नेम स्माइलिग बुद्धा रखा गया था और इसे 'स्माइल-1' के नाम से भी जाना जाता है. इंदिरा गांधी के समय किए गए इस परमाणु परीक्षण का मकसद यह देखना था कि घर में बने परमाणु यंत्र में विस्फोट होता है या नहीं. इस परीक्षण को शांतिपूर्ण विस्फोट माना गया था. भारत ऐसा करने वाला उस समय छठा देख बना था. हालांकि, इस परीक्षण के बाद अमोरिका सहित कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध भी लगा दिए थे.

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  • देश का पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च हुआ

    भारत के लिए 19 अप्रैल 1975 का दिन बहुत ही खास है क्योंकि इसी दिन देश के पहले उपग्रह 'आर्यभट्ट' को लॉन्च किया गया था. यह भारत का पहला वैज्ञानिक उपग्रह था, जिसे इसरो (ISRO) ने सोवियत यूनियन की मदद से बनाया था. इसे सोवियत संघ की मदद से ही अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित भी किया गया था. 'आर्यभट्ट' का नाम महान खगोल शास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने रखा था. एक्स-रे, खगोल विद्या, वायु विज्ञान और सौर भौतिकी के क्षेत्र में जानकारी हासिल करना इसका प्रमुख उद्देश्य था. इस उपग्रह का वजन 360 किलोग्राम था.

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  • – विश्व के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के दरवाजे खोले

    भारत में कई आर्थिक सुधार देखे गए. जिसमें प्रमुख रूप से उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्वीकरण (Globalization) शामिल थे. भारत सरकार का लक्ष्य इन उपायों को लागू करके अर्थव्यवस्था को खोलना और भारत को पुरानी सोवियत-मॉडल अर्थव्यवस्था से एक मार्केट इकोनॉमी के तौर पर विकसित करना था. इन सुधारों में इंपोर्ट शुल्क को कम करना, मार्केट्स को डीरेगुलेट करना और टैक्सेज को कम करना शामिल था, जिससे फॉरेन इन्वेस्टमेंट में वृद्धि हुई और उच्च आर्थिक विकास हुआ.

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  • कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तानी घुसपैठियों की कब्रें बनाईं

    साल 1998-99 की सर्दियों में पाकिस्तानी घुसपैठिए चुपके से सीमा पार कर कारगिल की चोटियों पर आकर बैठ गए. भारत को जब इस घुसपैठ के बारे में जानकारी मिली तो अपने क्षेत्र को खाली कराने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया गया. पाकिस्तानी पहाड़ की चोटियों पर बैठे थे इस वजह से इस अभियान में भारत को बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा. भारतीय वीरों ने कारगिल को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कराने के लिए अपनी जान का बाजी लगा दी और उन्हें यहां से खदेड़कर ही दम लिया.

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  • सिविल न्यूक्लियर डील से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की तरफ कदम बढ़े

    2 मार्च 2006 को, नई दिल्ली में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने सिविल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन एग्रीमेंट पर सिग्नेचर किए किए. इसके लिए जुलाई 2005 में वाशिंगटन में सिविल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन पर दोनों नेताओं के बीच शिखर सम्मेलन के बाद एक पहल हुई थी. 3 अगस्त 2007 को, दोनों देशों ने 123 एग्रीमेंट का पूरा टेक्स्ट जारी किया. 9 जुलाई 2008 को, भारत ने फॉर्मल तरीके से IAEA को सेफगार्ड एग्रीमेंट प्रस्तुत किया.

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  • प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गईं

    प्रतिभा देवीसिंह पाटिल जब भारत की राष्ट्रपति चुनीं गई तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक और गौरव का क्षण था. वह देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं. केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह ने नेतृत्व में UPA की सरकार चल रही थी और UPA की कमान भी एक महिला यानी सोनिया गांधी के हाथों में थी. देश को इंदिरा गांधी के रूप में साल 1966 में पहली प्रधानमंत्री मिल चुकी थीं, प्रतिभा पाटिल ने देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचकर दुनिया के सामने भारतीय लोकतंत्र की एक और सुनहरी तस्वीर रखी.

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  • चंद्रमा पर भारत का पहला मिशन भेजा गया, जो बेहद सफल रहा

    चंद्रयान-1, भारत का पहला मून मिशन यानी चंद्रमा की तरफ हमारा कदम था. इसे 22 अक्टूबर 2008 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. इस स्पेसक्राफ्ट के साथ भारत ने 11 साइंटफिक इंस्ट्रूमेंट भेजे थे, जिन्हें भारत, अमेरिका, यूके, जर्मनी, स्वीडेन और बुलगेरिया ने तैयार किया था. अंतरिक्ष यान चंद्रमा की रासायनिक, खनिज विज्ञान (जिसे मिनरलॉजी कहते हैं) और फोटो-जीयोलॉजिक मैपिंग के लिए चंद्रमा की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था. 29 अगस्त 2009 को संपर्क टूटने से पहले स्पेसक्राफ्ट ने वो काम पूरा कर लिया था, जिसके लिए उसे अंतरिक्ष में भेजा गया था. 22 अक्टूबर 2008 से 29 अगस्त 2009 के बीच स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा के चारों ओर 3400 से अधिक परिक्रमाएं कीं.

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  • पहली ही कोशिश और बहुत कम खर्च में भारत मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंच गया

    मार्स ऑर्बिटर मिशन (MoM), मंगल ग्रह के लिए भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन 05 नवंबर 2013 को PSLV-C25 पर लॉन्च किया गया था. इसके साथ ही ISRO मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई. हालांकि, डिजाइन किए गए मिशन का जीवन 6 महीने था. लेकिन MOM ने 24 सितंबर 2021 को अपनी कक्षा में 7 वर्ष पूरे किए. इस मिशन के जरिए दरअसल ये पता लगाने की कोशिश की गई कि मंगल ग्रह की सतह की क्या खास बातें हैं. मोर्फोलॉजी, जिसे आकृति विज्ञान कहते हैं, खनिज विज्ञान और मंगल ग्रह पर कैसा वातावरण है, इन सभी चीजों का अध्ययन करने के लिए पांच वैज्ञानिक पेलोड भेजे गए.

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  • एक देश के लिए एक टैक्स कानून लाया गया

    GST का विचार पहली बार साल 2000 में इनडायरेक्ट टैक्सेज पर केलकर टास्क फोर्स ने प्रस्ताव दिया था. इसका मकसद जटिल और फ्रैगमेंटेड टैक्स स्ट्रक्चर को एक इंटीग्रेटेड सिस्टम से बदलना था, जो कांप्लायंस को सरल बनाएगी, टैक्स के बोझ को कम करेगी और इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देगी. 1 जुलाई, 2017 को, सेंट्रल और स्टेट टैक्सेज की जटिलताओं को रीप्लेस करते हुए, GST कानून लागू किया गया. GST के तहत, वस्तुओं और सेवाओं को 5%, 12%, 18% और 28% सहित अलग-अलग टैक्स स्लैब में क्लासीफाई किया गया है.

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  • 2019 – आर्टिकल 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का नया इतिहास लिखा गया

    महाराजा हरि सिंह द्वारा विलय संधि पर हस्ताक्षर करने के साथ जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा जरूर बन गया. लेकिन इसके बावजूद राज्य को एक विशेष दर्जा हासिल था. अनुच्छेद 370 और 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान और अपना झंडा रखने की आजादी थी. राज्य की सहमति के बिना आंतरिक अशांति के आधार पर राज्य में आपातकालीन प्रावधान लागू नहीं होते थे. साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A को हटाकर, जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बना दिया गया. अब देश के सभी कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होते हैं और नागरिकों को भी समान अधिकार हैं.

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भारत के प्रधानमंत्री (1947-2023)

नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान और 14वें प्रधानमंत्री हैं और जवाहरलाल नेहरू पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले व्यक्ति थे भारत के प्रधानमंत्री।

भारत का संविधान

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों कोः सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.

स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त

भारत में हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी.

स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त

भारतीय लोग दुनिया में चाहे जहां हों, वह 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. क्योंकि इसी दिन 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी.

सिर्फ भारत ही नहीं है, जिसको 15 अगस्त को आजादी मिली थी. दुनिया में ऐसे कई अन्य देश भी हैं, जिनको 15 अगस्त 1947 या इसके आसपास आजादी मिली थी. भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है और हम आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहे हैं. यहां पांच उन देशों के नाम भी जान लेते हैं, जिन्हें 15 अगस्त को आजादी मिली थी या जो अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाते हैं. उत्तर और दक्षिण कोरिया,बहरीन,कांगो,लिकटेंस्टाइन

इतिहास

भारत का स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास बहुत ही वाइब्रेंट है. भारत की स्वाधीनता के लिए तमाम लोगों ने अपने प्राणों की बाजी लगाी. अंग्रेजों ने 17वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए अपना विस्तार किया. जब तक भारत को गुलामी का एहसास होता, तब तक ईस्ट इंडिया कंपनी देश के बड़े भू-भाग पर कब्जा कर चुकी थी. वैसे भी भारत उस समय छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा हुआ था, जहां पर राजा और रजवाड़ों का शासन था. सन 1857 में पहली बार देश की आजादी की अलख जगी, इसे पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है. इसके बाद देश में बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे बड़े नेताओं के नेतृत्व में कई आंदोलन हुए. आखिरकार भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली. इस आजादी के साथ ही देश दो हिस्सों में बंट गया. एक हिस्सा जो धर्म के आधार पर अलग हुआ उसे पाकिस्तान कहा गया, जबकि भारत धर्मनिर्पेक्ष देश बना रहा.

आजादी का उत्सव

हर साल 15 अगस्त को देश का हर नागरिक स्वतंत्रता दिवस मनाता है. भारतवासी चाहे दुनिया के जिस भी कोने में हों, वह इस स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाने से नहीं चूकते. इस दिन प्रधानमंत्री लालकिले के प्राचीर पर ध्वजात्तोलन के बाद देश को संबोधित करते हैं. इस दिन राज्यों की राजधानियों में भी ध्वजात्तोलन के कार्यक्रम होते हैं. स्कूलों में भी राष्ट्रगीत गाए जाते हैं. देश के कुछ इलाकों में इस दिन पतंगबाजी भी की जाती है. देश में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश भी रहता है. विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावासों पर भी इस दिन ध्वजात्तोलन का कार्यक्रम रखा जाता है.

इस साल हम देश का 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं

चलिए इस अवसर पर जानते हैं पछले 10 वर्षों में देश ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं

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